हंसी, एंडॉरफिन और खुशी
‘ए डे विदाउट लाफ्टर इज ए डे वेस्टेड’, संसार के महान कॉमेडियन चार्ली चैपलिन की कही ये पंक्तियों का सन्दर्भ देते हुए डॉ रचना दुबे ने कहा कि हंसी लाख बीमारियों की दवा है। हंसने से हमारी सेहत तो सुधरती ही है, सूरत भी जैसे निखर सी जाती है। जिंदगी की उधेड़बुन और व्यस्तता में न जाने क्यों हम खुलकर हंसना मानों भूलते जा रहे हैं। खुलकर हंसने से हमारे शरीर की मांसपेशियों, आंखों, जबड़े और दिल को आराम मिलता है।
होलिस्टिक हेल्थ की एप्रोच तब तक पूरी नहीं है जब तक व्यक्ति दिल से खुश न हो । हंसता-मुस्कराता न हो। डॉक्टर रचना दुबे कहती हैं कि, हम मर्ज को न सिर्फ दवाओं से ठीक करते हैं, बल्कि मरीज़ के पूर्ण खुशहाल माहौल, हंसीयुक्त वातावरण, उसकी विचारधारा में बदलाव, शारीरिक, मनोविज्ञान, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य से रोग की रोकथाम करते हैं। इसके पीछे साइंस भी है। खुलकर हंसने से हमारे शरीर में एंडॉरफिन नाम का हॉर्मोन रिलीज़ होता है जो हममें नई ऊर्जा और खुशी का संचार करता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुए एक शोध में यह तथ्य सामने आया है कि 10 मिनट हंसने से उतनी ही ऊर्जा मिलती है जितनी सुबह- सुबह एक किलोमीटर घूमने में मिलती है। हंसने से ‘तनाव कम होता है, तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन्स नहीं रिलीज़ होते हैं। ब्लडप्रेशर भी संतुलित रहता है। एंडॉरफिन हमारे शरीर का कुदरती दर्दनाशक है। हंसते रहने से इनका लेवल सही रहता है और कमर दर्द, सिर दर्द दूर ही रहते हैं। फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है। हंसने से हमारे टी-सेल्स एक्टिवेट होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। एक शोध के मुताबिक हंसने वाले लोगों का डायबिटीज स्तर भी कम होता है और हम डॉक्टर्स मानते हैं कि’स्ट्रेस डायबिटीज़’ को संतुलित आहार, मन की शांति और खुलकर हंसने से हम कंट्रोल कर सकते हैं। हंसने से हमारी रक्त वाहिकाओं में
खून का प्रवाह बढ़ता है और हम तेजी से सांस लेते हैं जिससे अधिक ऑक्सीजनेशन होता है जो डिप्रेशन, तनाव कम करता है। महिलाओं में देखा गया है कि प्रतिदिन यदि 5-20 मिनट भी खुलकर हंसे तो उनके मीनोपॉज़ल लक्षणों में फायदा होता है।