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महिलाओं में इनफर्टिलिटी की बढ़ती समस्या

महिलाओं में इनफर्टिलिटी की बढ़ती समस्या

डॉ. रचना दुबे ने बताया कि डब्ल्यूएचओ सर्वे के अनुसार विश्व में 1.2 अरब लोग मोटापे से पीड़ित हैं। भारत में 70 फीसदी शहरी जनसँख्या मोटापे या अतिरिक्त वजन से परेशान है। मोटापा कई शारीरिक बीमारियों का कारण होता है यदि मोटापा प्रेग्नेंसी में बाधक हो जाए तो महिला को अत्यधित मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। मोटापे से होने वाली नपुंसकता आज एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आई है। देश में 10 फीसदी शादी-शुदा जोड़े इस समस्या से जूझ रहे हैं। शहरी क्षेत्र में यह समस्या गलत जीवन शैली की वजह से और भी अधिक है। महिलाओं में इनफर्टिलिटी के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस, यूटराइन तथा ओवेरियन सिस्ट, फेलोपियन ट्यूब में ब्लॉक, एंडोमेट्रिओसिस, पेल्विक में सूजन, सेक्सुअल इन्फेक्शन तथा पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस)।

मुख्य तौर पर आजकल की मॉडर्न जीवनशैली जैसे लेट मैरिज और लेट फॅमिली प्लानिंग,    जंक फ़ूड जैसे बर्गर, चिप्स, पिज़्ज़ा और Pepsi/Coke से मोटापा, देर रात तक जागना, लगातार ऑफिस में बैठे रहना, प्राणायाम, योग, एक्सरसाइज की कमी, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन, हार्मोनल इम्बैलेंस तथा इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ता है। अत्यधिक चर्बी से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है और ओवरी में सिस्ट बनते हैं, जो की PCOS के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा अनियमित माहवारी, इनफर्टिलिटी, बार-बार गर्भपात, उच्च रक्तचाप, मधुमेह या अनचाहे बाल (हरसूटिस्म) की संभावना बढ़ जाती है। डॉ रचना दुबे के अनुसार  वजन घटाने से इस बीमारी को बहुत हद तक काबू किया जा सकता है। इसके साथ जो PCOS महिलाएं अपना वजन घटा लेती हैं, उनकी ओवरी में दोबारा अंडे बनना शुरू हो जाते हैं। गर्भधारण करने के लिए महिलाओं को पहले खुद फिट और स्वस्थ्य होना जरुरी है। अतः संतुलित डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा होना चाहिए। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद का प्रयोग और ज्यादा पानी पीना शुरू कर दें तथा रोज सुबह की सैर और व्यायाम भी मोटापे को बढ़ने से रोकता है।

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