सर्वाइकल कैंसर से बचें
52 वर्षीय पुष्पा 5 बच्चों की माँ है। 18 वर्ष में ही उसका विवाह हो गया था। गरीबी के चलते जैसे – तैसे परिवार का गुजारा किया। कुछ दिनों में उसको असामान्य रक्तस्त्राव, वाइट डिस्चार्ज, पेडू में दर्द, पीरियड्स के बीच में स्पॉटिंग और सम्बन्ध बनाने के बाद ब्लीडिंग हो रही थी। डॉक्टरी जांच और बायोप्सी के बाद पता चला कि उसको सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय, ग्रीवा कैंसर) है।
विश्व में दस में से एक महिला सर्वाइकल कैंसर की शिकार होती है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार गर्भाशय कैंसर हर साल 2.50 लाख और भारत में लगभग 74 हज़ार महिलाओं की मौत का कारण होता है। इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स होते हैं जैसे 40 साल की आयु के बाद अथवा 17 साल से पहले विवाह, ज्यादा बच्चे होना, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर, परिवार में सर्वाइकल कैंसर की हिस्ट्री, धूम्रपान और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एच पी वी) इन्फेक्शन होना।
30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को पैप स्मीयर टेस्ट जरूर कराना चाहिए। इसके जरिये सही समय पर सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसे एक से तीन साल के बीच में लगातार कराते रहना चाहिए। पैप स्मीयर टेस्ट में गर्भाशय के कुछ सेल्स को माइक्रोस्कोप में देखकर यह पता लगाया जाता है कि ये सेल्स कैंसरग्रस्त हैं या नहीं।
ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर एच पी वी वायरस से होते हैं यदि एच पी वी वैक्सीन सही समय पर ले लिया जाए तो 70% सर्वाइकल कैंसर बचाये जा सकते हैं। यह वैक्सीन जेनाइटल वर्ट्स तथा सर्वाइकल, एनल, वेजाइनल, वल्व कैंसर से बचाती है। ये वैक्सीन 0, 1 और 6 माह में 3 डोज़ सीरीज में दी जाती है। इस कैंसर से बचाव का सर्वोत्कृष्ट तरीका बेटियों में 11 से 26 साल कि उम्र तक ही दी जा सकती है, वह भी, सेक्सुअल एक्टिविटी शुरू होने से पहले क्योंकि एच पी वी वैक्सीन राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम में सम्मिलित नहीं है इसीलिए इसे व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर से संपर्क कर, लगवाया जा सकता है । यह बाजार में Cervarix, Gardasil के नाम से मिलती है।