शिशु के वो नौ महीने
चक्रव्यूह भेदने की कला अभिमन्यु ने माँ के गर्भ में ही पिता अर्जुन से प्राप्त की। पूर्वज इसे मात्र एक किंवदंती मानते थे पर अब मेडिकल साइंस ने सिद्ध कर दिया है कि गर्भ के समय कि सुखद अनुभूतियाँ एवं विचारधारा गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है।
डॉक्टर रचना दुबे ने जानकारी दी कि सुगम संगीत को हेडफ़ोन द्वारा गर्भवती के पेट में लगाकर 4 डी अल्ट्रासाउंड मॉनिटरिंग पर देखा गया कि बच्चे के दिल कि धड़कन बढ़ गयी और शिशु में पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिली तथा गर्भवती तनाव और डिप्रेशन में रहती है तो बच्चे में चिड़चिड़ापन, व्यावहारिक आचरण तथा मानसिक विकास में कमी आती है।
गर्भवती को धूम्रपान तथा शराब का सेवन नहीं करना चाहिए इससे शिशु के मानसिक विकास, आईक्यू डेवलपमेंट माईलस्टोन्स पिछड़ जाते हैं। इसे मेडिकल भाषा में कहते हैं। धूम्रपान से बच्चे एवं माँ कि रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन कि कमी के कारन इंट्रायूटराइन ग्रोथ रिटार्डेशन पोरे समय से पहले दर्द आना माँ का ब्लड प्रेशर हाई होना जैसी अनेक परेशानियाँ आ सकती है।
छत्रपति शिवजी कि माँ जिजाबाई अपने गर्भावस्था के दौरान हर समय अपने विचारों में घोड़े पर सवार, हाथों में हथियार लिए शेर कि तरह दहाड़ते हुए एक वीर योद्धा कि कल्पना करती थीं, जो अन्याय, अत्याचारी, मुग़लों का अंत कर, मराठा साम्राज्य को उनका गौरव वापस दिलाये।
माता की हर गतिविधि, बौद्धिक विचारधारा को सुनकर गर्भस्थ शिशु अपने आपको प्रशिक्षित करता रहता है। तेजस्वी संतान के लिए जरुरी है कि आप हमेशा खुश रहे, टी वी में हिंसा को बढ़ावा देने वाले दृश्यों से बचें, धार्मिक जीवन चरित्रों को पढ़ें। परिवार का लक्ष्य होना चाहिए कि घरेलु हिंसा, भावनात्मक शोषण से गर्भवती को मुक्त रखें।
डॉक्टर रचना दुबे ने सलाह दी की हर माँ ऐसा कर सकती है अपने नौ माह के संकल्पित जीवन द्वारा शिशु के 9 महिने का समय उसके पूर्ण जीवन के मापदंडों को तय करता है।