ग्रैंड मल्टीपेरेस लेडीज में डिलीवरी के दौरान डेथ के चान्सेस ज्यादा
एक रविवार को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था। इस मकबरे को देखने देश दुनिया से हजारों लाखों लोग आगरा जाते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को यह पता है की मुमताज की मृत्यु कैसे हुई थी। महज 37 वर्ष की उम्र में मुमताज की मृत्यु हो गयी थी। 14 वें बच्चे को जन्म देते हुए खून की कमी और डिलीवरी के बाद हैवी ब्लड लॉस की वजह से मुमताज की मृत्यु हो गयी थी।
जो औरतें चार से ज्यादा बच्चों को जन्म देती हैं उन्हें मेडिकल लैंग्वेज में हम ग्रैंड मल्टीपेरेस कहते हैं। वैसे तो भारत में परिवार नियोजन की जागरूकता बढ़ने से परिवार छोटे हो गए हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण, निर्धन और अशिक्षित परिवारों में धार्मिक मान्यताओं, अज्ञानता व रूढ़िगत परम्पराओं के चलते अधिक बच्चे पैदा करने का चलन है। कुछ समुदाय तो यह मानते हैं कि बच्चे ईश्वर कि दें हैं और इनके जन्म पर नियंत्रण ईश्वर कि इच्छा के विरूद्ध है, जो सही नहीं है।
ग्रैंड मल्टीपेरेस महिलाओं में गर्भधारण, प्रसव और प्रसव के बाद कई कॉम्प्लीकेशन्स होते हैं। एक दो बच्चों कि माँ कि तुलना में मदर की डेथ होने की सम्भावना इनमें पांच गुना अधिक होती है। बार-बार गर्भधारण करने से बच्चादानी कमजोर होकर फटने जैसी स्थिति बन जाती है। गर्भाशय की मसल्स लूसे हो जाने से बच्चा आड़ा-तिरछा अटक जाता है, जिससे ऑपरेशन जरुरी हो जाता है। उनके शरीर में कैल्शियम, आयरन और अन्य न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाने से एबॉर्शन, हाई ब्लड प्रेशर, झटके आना, प्रसवोत्तर रक्तस्त्राव और खून की कमी से मृत्यु की सम्भावना अधिक होती है। कई बार गर्भधारण के बाद जो बच्चे पैदा होते हैं वे भी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। कहीं ऐसा न हो कि वंश कि बढ़ोतरी कि अत्यधिक चाह में आप अपने जीवनसाथी को ही खो दें। गावों और छोटे शहरों में अब भी स्त्री को बच्चे पैदा करने का जरिया ही समझा जाता है। इस दिशा में हम अब भी बहुत पिछड़े हुए हैं।