एनीमिया को हल्के में न लें महिलाएं
21 वर्षीय फरहीन दूसरी बार गर्भवती हुई और गर्भधारण के 6-7 महीनों में ही जरा सा काम करने के बाद उसकी सांस फूलने लगती है। सिरदर्द, चक्कर, घबराहट, हाथ पैरों में सूजन और कमजोरी महसूस होती है। घर में सास उसके काम न कर पाने से नाराज रहती है। उन्हें लगा है कि फरहीन काम न करने के बहाने बना रही है। यह कहानी सिर्फ फरहीन कि नहीं हैं। डॉ. रचना दुबे ने बताया कि ऐसी कई महिलाएं हैं जो एनीमिया कि शिकार होती हैं और फिर उन्हें भी इन परेशानियों का शिकार होना पड़ता है। एनीमिया सुनने में जरूर एक साधारण सी बीमारी लगने लगती है लेकिन UNFPA 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक मातृ मृत्यु के सभी मामलों में 25 से 30 फीसदी गर्भवती महिलाएं खून की कमी के कारण जान से जाती हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन क्राइटेरिया से हीमोग्लोबिन यदि 10 ग्राम से कम है तो समझिए आप एनिमिक हैं। 8 से 10 ग्राम माइल्ड, 7 से 8 ग्राम मॉडरेट और 7 से भी कम हीमोग्लोबिन हो तो उसे सीवियर एनीमिया कहते हैं।
मुख्य कारण
1. आयरन, बी-12 व फॉलिक एसिड की कमी।
2. बार-बार गर्भधारण, एबॉर्शन, कम अंतराल में बच्चे होना।
3. पेट में कीड़े होना।
4. पाइल्स व मलेरिया होना।
5. अत्यधिक माहवारी।
6. गर्भावस्था के आखिरी के महीनों में हीमोडाइल्यूशन के कारण भी खून की कमी होती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को थोड़े-थोड़े समय में पौष्टिक भोजन लेते रहना चाहिए। लेकिन हमारे देश में महिलाएं इसके विपरीत सावन, नवदुर्गा, पर्यूषण और रोज़े भी रख लेती हैं। वे संतुलित आहार नहीं ले पाती हैं और बात बिगड़ती जाती है।
हीमोग्लोबिन बढ़ाने के तरीके
डॉ. रचना दुबे ने सलाह दी कि पालक, चुकंदर, टमाटर, सेब, सोयाबीन, गुड़, सुखे मेवे, साबुत अनाज और मूंगफली का प्रयोग करें। लोहे की कढ़ाई में सब्जी बनाएं। हरी सब्जी उबालकर उसका प्रयोग करें। बॉडी में आयरन के एब्सॉर्ब्पशन के लिए खट्टे फल खाएं।